अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सीय प्रयोग: बार-बार आज़माए गए असरदार नुस्खे

Jul 26, 2025
प्राकृतिक चिकित्सा
अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सीय प्रयोग: बार-बार आज़माए गए असरदार नुस्खे

अनुभूत चिकित्सीय प्रयोग 

1 - गठिया रोग की सफल चिकित्सा यह एक विशेष प्रकार की चाय है इसको तैयार करने के लिये 2.5 लीटर शुद्ध जल में 350 ग्राम चीनीके साथ 1-2 चम्मच चायकी  पत्ती को उबालकर साफ कपड़ेसे छानकर चौड़े मुंहके काँचकी बोतलमें गुनगुना होनेतक ठंडा करके, इसमें कल्चर की 20 ग्राम मात्रा मिला देते हैं। गर्मियों में 7 दिनों में और जाड़ों में 15 दिनोंमें कल्चर का किण्वीरण हो जाता है और वह जम जाता है जिसे अलग करके साफ काँच के बरतन में पानी में डुबोकर रख देते हैं। यह मदर कल्चर दूसरी चाय बनाने के काम आयेगा। किण्वित कल्चर को छानकर सुबह-शाम खाली पेट एक कप पीते हैं। इसका स्वाद सेव के रस की तरह या एपिल साइडर की तरहका होता है।सुबह-शाम एक-एक प्याला तीन माह तक पीनेसे असाध्य गठिया रोग भी ठीक हो जाता है। सर्वप्रथम यह पेट की गंदगी तथा स्थायी रूप से गैसों को बाहर निकाल देता हैं, शुरू में पेट में कुछ हलचल होने पर भी घबराना नहीं चाहिये। इसके पौने से पेशाब की मात्रा भी बढ़ जाती है। 21 दिनोंके बाद यह जोड़ों में एकत्र यूरिक एसिड को बाहर निकाल कर हड्डियों के बीच जो चिकना और तरल पदार्थ होता है उसमें वृद्धि करके जोड़ों के संचालन में सहायक होता है रोगी को यथा साध्य चिकने पदार्थ, चावल, दही का प्रयोग कम करना चाहिए ।

2--- खूनी बवासीर

प्रातः काल शौच के पूर्व शुद्ध गरम जल पी लें, फिर शौऺऺच जायें और शौच के बाद गुदा धुलने के बाद तुरंत शुद्ध मृतिकाका गुदा में लेपन करें. 1-2 मिनट बाद गुदा धो लें. कुछ ही दिनों में खूनी बवासीरसे मुक्ति मिल जायगी। प्रयुक्त मिट्टी सूर्यतापी शुष्क एवं शुद्ध स्थान की हो।


3-- रक्तप्रदर

 कटीली चौलाईको जड़,रसौत, सोंठ, भारंगी ,तथा पिप्पली (पीपर) को सम भाग से चूर्ण बनाकर शीशी में भर लें। इसकी तीन-तीन ग्राम मात्रा शहद से चाटकर ऊपरसे चावल का पानी पीने से मात्र तीन चार दिनों में ही लाभ मिलेगा।


* 4-- उदरशूल

*  अजवायन और सेंधा नमक की सम मात्रा का चूर्ण 8-10 ग्राम लेकर गरम जल से लें, बहुत जल्दी उदर शूल समाप्त हो जायगा।


5---  खाँसी 

आजमाये गये प्रत्येक खाँसी के रोगीको इससे अवश्य लाभ हुआ। सीतोपलादि आयुर्वेदका प्रसिद्ध चूर्ण है। घर पर भी बनाया जा सकता है। इसके लिये दालचीनी-एक भाग ,छोटी इलायची दो भाग, छोटी पीपर-चार भाग, बंशलोचन आठ भाग और मिश्री-सोलह भाग लें। सारी औषधियोंका महीन चूर्ण बनाकर शीशेके जार में भर लें। चूर्ण बनाते समय यह ध्यान दें कि वंशलोचन खूब महीन पिस जाय और मिश्री अन्त में पीसकर मिलायें सारी औषधियों का चूर्ण खूब महीन हो। रात्रि में सोते समय और प्रातः खाली पेट शहद के साथ एक चम्मच चूर्ण चाटकर सोयें। यदि जल पीना है तो रात्रि में गरम जल का ही प्रयोग करें। दो-तीन दिनों में ही खाँसी से छुटकारा मिल जायगा।

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